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Vadtaldham

भाग्यशाली भारत की भूमि पर अनेक अवतारों ने अपना अवतरणकार्य करके धर्म की पुनः स्थापना और असुरों का नाश कर भक्तों की रक्षा की है। इसी प्रकार, 18वीं सदी में जब आसुरी वृत्तियों ने अराजकता फैला दी थी, अधर्म का शासन बढ़ रहा था, बेटियों को दूध पीती और सती प्रथा जैसी कुप्रथाएं लोगों के मन में घर कर चुकी थीं।
अहिंसात्मक यज्ञों से मलिन देवताओं की आराधना होती थी। लोगों को धर्म-अधर्म, पाप और पुण्य में अंतर समझ नहीं आता था। उस समय रक्षक ही भक्षक बन गए थे, तब अंधकार में डूबी मानवजाति को धर्म, सत्य, पुण्य और सद्विद्या से तारने और मलिन शक्तियों तथा आसुरी वृत्तियों का नाश करने के लिए भगवान श्री स्वामिनारायण ने इस धरती पर अवतार लिया, धर्म की पुनः स्थापना की और धर्म की यह ज्योति सदियों तक प्रज्वलित रहे इसके लिए देव, मंदिर, शास्त्र, आचार्य, संत और हरिभक्त इस षडंगी स्वामिनारायण संप्रदाय की स्थापना की।

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श्री लक्ष्मीनारायण देव द्विशताब्दी महोत्सव
संस्कृत साहित्य के महान कवि कालिदास कहते हैं, "उत्सवप्रियाः खलु मानवाः," अर्थात मनुष्य वास्तव में उत्सवप्रिय है। वड़ताल धाम में हमारे सनातनी और सांप्रदायिक उत्सवों को एक नई भव्यता दी गई है। वड़ताल मंदिर द्वारा वर्ष भर में 72 उत्सवों का आयोजन विशाल पैमाने पर किया जाता है। वड़ताल धाम में भगवान श्री स्वामिनारायण ने स्वयं श्रीहरिकृष्ण महाराज, श्री लक्ष्मीनारायण देव सहित अन्य देवों की मूर्तियों को अपने हाथों से स्थापित किया है। इन महाप्रतापी देवों की प्रतिष्ठा के 200 वर्ष आगामी नवंबर माह में पूर्ण होने जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर को मनाने के लिए वड़ताल मंदिर द्वारा श्री लक्ष्मीनारायण देव द्विशताब्दी महोत्सव का भव्य आयोजन आगामी विक्रम संवत 2081 कार्तिक सुद 7 (7 नवंबर 2024) से कार्तिक सुद 15 (15 नवंबर 2024) तक किया जा रहा है।
इस महोत्सव में लाखों लोग श्रीहरिकृष्ण महाराज और श्री लक्ष्मीनारायण देव की दिव्य ऐश्वर्य और प्रताप का अनुभव करेंगे। सर्वहितकारी सेवा कार्यों की सुगंध दिशाओं में महक उठेगी, आध्यात्मिकता और मानवता के मूल्यों का संवर्धन करने वाले ग्रंथों का प्रकाशन होगा, संतों और विप्रों का समूह पूजन होगा, श्री यज्ञ, हरि यज्ञ, विष्णु यज्ञ जैसे यज्ञों के धूम्र से वातावरण पवित्र होगा, और अखंड महामंत्र के नाद से मानवता को मानसिक शांति का अनुभव होगा। देश के विभिन्न संप्रदायों के संत, महंत, राजकीय अतिथि तथा विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियाँ इस महोत्सव में पधार कर महोत्सव की शोभा बढ़ाएंगे।
धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक जगत को उन्नत करने वाले अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से यह महोत्सव देश-विदेश में स्वामिनारायण संप्रदाय और सनातन परंपरा के वैभव का नाद गुंजाएगा।
वडताल प्रबंध न्यासी मंडल एवं दक्षिण देश त्यागी-गृही समाज की ओर से
अध्यक्ष श्री देवप्रकाशदासजी स्वामी मुख्य कोठारी श्री पुरदा.शा.संतवल्लभदासजी स्वामी