गंगाजलीयो कुआं
ऐसे कई कुएँ हैं जिनमें भगवान श्री स्वामिनारायण ने स्नान किया है और आज भी वही पवित्र जल मिलता है। ऐसे कुओं में से गंगाजलीयो कुआं भी एक है। संवत् 1869 की ओगणोतरो काल में,
जब इस कुएं का पानी केवल घड़ा डूबे जितना ही रह गया था, तब श्रीहरी गढ़पुर से वडताल आए और इस कुएं से स्नान किया और पास में ध्यान करने बैठे।
उस समय अचानक कुएं से पानी का फव्वारा छूट गया और कुआं भर गया। श्रीहरी ने इसे देखकर कहा कि "हमारी इच्छा से इस कुएं में गंगा जी पधारी हैं, अब कभी भी इस कुएं में पानी की कमी नहीं होगी। अब से इस कुएं का नाम गंगाजलीयो कुआं रखा जाएगा।" यह कुआं मंदिर के सभामंडप के पीछे स्थित है।