|

|

रामप्रताप भाई का बंगला

मंदिर परिसर में गरुड़जी के स्तंभ के पास का मकान नारायणमोल कहलाता है। यह मकान श्रीहरी ने वडताल के पटेल भक्त दलाभाई से प्राप्त किया था। जहां श्रीहरी ने अपनी तरह से निर्माण करवा लिया
और वहां ध्यान किया। फिर जब अयोध्या से धर्मकुल आया, तो भगवान श्री स्वामिनारायण ने अपने
बड़े भाई रामप्रताप भाई को इस मकान में रहने के लिए दे दिया। इस कारण इस मकान को रामप्रताप भाई का बंगला भी कहा जाता है। यहीं नीचे के कमरे में रासमंडल की मूर्तियों को श्रीहरी ने अपनी छड़ी लगाकर नृत्य करवाया था।
यहीं खड़े होकर श्रीहरी ने वडताल में भव्य रंगोत्सव भी करवाया था। साथ ही श्रीहरी ने यहां 'शिक्षापत्री' ग्रंथ के लेखन का श्रीगणेश भी किया था। इसके बाद उन्होंने पूर्ण लेखन सामग्री लेकर हरिमंडप में गए और वहां इस ग्रंथ का लेखन किया था।

hi_INHindi